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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

बुधवार, 29 जुलाई 2020

गम और सितम

जिंदगी आ बैठ कर थोड़ी देर बाते करले 
ये बता और कितने मेरे इम्तिहान बांकि है 
दूर बस रेत  ही  रेत है निगाहों में 
है कहाँ जमीं कहाँ आसमा बांकि है 
खुदा तेरे आँखों के  भी आंसू हमें देदे 
मेरे दिल में अभी दर्द बांकि है 
खुदा तेरी झोली में ढेर सारी खुशियां भर दे 
मेरी झोली में तो अभी गम के अरमान बांकि है 
मेरा तो जीवन ही ग़मों का सागर है 
कुछ गम तेरे भी समेट लूँ तो क्या गम है 
तुझे चाहा है दिल की गहराइयों से 
अभी अपने  दिल में जज्बात बांकि है 
जिंदगी आ थोड़ी देर बैठकर और बातें करते है 
गम और सितम के अभी कई मकाम बांकि है।   

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