शब्द को जोड़कर शब्द का कुछ करूँ
शब्द से मैं डरु शब्द को मैं गढ़ु
शब्द ही शब्द में मैं उलझी रहूँ
शब्द के जाल मैं खुद से बुनती रहूं
शब्द को जोड़कर मैं खुद से चलूं
शब्द तपते हुए सूर्य की है किरण
शब्द में है चाँद सी सीतलता
शब्द वो बाण है शब्द वो मान है
शब्द के जाल में पूरा संसार है
शब्द में प्रेम है शब्द में है दुआ
सब है उलझे हुए शब्द के खेल में।
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