आई एक दिन बहुरानी
पांव में मेहंदी रंग आलता
सोलह श्रृंगारों से सजकर
सर पे घूँघट पाजेब पांव में
छुई मुई सी बहुरानी
सबकी नजरे टिकी हुई है
आई कैसी बहुरानी
आई एक दिन बहुरानी
अपने घर को छोड़छाड़ कर
इस घर को अपनाना है
नई नवेली दुल्हन बनकर
रिश्ते नए बनाना है
शादी के जोड़े में सजकर
आई एक दिन बहुरानी
लोग नए है गावं नया है
सारे अब जज्बात नए है
गम और खुशियां दोनों को
हमको अब संग - संग जीना है
शादी के जोड़े में सजकर
आई एक दिन बहुरानी
बहुरानी के संग - संग अब
पत्नी भाभी सब बनना है
सबके दिल को भाये ऐसा
हर पल कोशिश ये करना है।
बहुत अच्छी कविता है
जवाब देंहटाएंthanks
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