प्रकृति की सोभा तुम्ही फिर बढ़ाओगे
हर मौसम का आनंद तुम्ही फिर उठाओगे
फूलों की महक से प्रकृति को सजाओगे
जब खेतों में फसल लगाओगे
जिंदगी में तभी तो खुशियां लौटाओगे
न फिर कभी बेगानो सा ब्यवहार पाओगे
न कंही से कोई अपमानित करके भगाएगा
अपने घर में ही हर साल दिवाली मनाओगे
जब तुम पर्यावरण को बचाओगे
अपने जीवन में शांति और खुशियां फैलाओगे
दूसरो के लिए तुम नजीर बन जाओगे
जब धरती को माँ की तरह पूजोगे
तब वह संतान से भी ज्यादा तुम पर प्यार बरसाएगी
पर्यावरण बचाओगे तभी तो सुकून और चैन पाओ गे।
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