गम जो सो गया है उसे जगायेगा कौन
परछाई भी अपनी खौफ में रहती थी
उसकाले दिन को यादों में जगायेगा कौन
तुम मौन हो हम भी मौन है
फिर इस चुप्पी को तोड़ेगा कौन
छोटी सी बात को दिल से लगा लोगे
तो फिर रिस्ता निभाएगा कौन
हमने तो मान - सम्मान की खातिर
मौन में ही वर्षो निकाल दिए
अब एक दिन का बड़प्पन दिखायेगा कौन
एक अहम् तुम्हारे भीतर है
और एक मेरे अंदर भी है
तो इस अहम् को आखिर हरयेगा कौन
न मैं राजी न तुम राजी
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखायेगा कौन
गम जो सो गया है उसे जगायेगा कौन।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें