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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

मंगलवार, 20 अक्टूबर 2020

छोटा बच्चा

जब मैं छोटा बच्चा था
मन से पूरा  सच्चा था
सबके लिए मैं अच्छा था
भोला - भाला  गोल - मटोल 
हँसता मैं हरदम मुँह खोल

जब मैं छोटा बच्चा था 
मन से पूरा  सच्चा था
घड़ी- घड़ी पानी मैं  डालूं 
सर पर मिट्टी डालकर आऊं
लोटपोट होकर सब हँसते

जब मैं छोटा बच्चा था 
मन से पूरा  सच्चा था 
जब कोई स्कूल की कहता 
रो - रोकर मैं गिरता -पड़ता 

जब मैं छोटा बच्चा था 
बड़ा कान का कच्चा था 
मन से पूरा सच्चा था 
कुछ भी था पर अच्छा था। 

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