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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

प्रहरी

प्रहरी हूँ मैं भारत माँ का 
माँ की रक्षा करते करते 
हँसते हँसते ही जाऊंगा 
अपने शौर्य की गाथा को 
स्वर्णाक्षरों में अंकित करके 
नाम देश का रौशन करना 
अपना एक है लक्ष्य 

प्रहरी हूँ मैं भारत माँ का 
हमसब सीमा पर डटकर माँ 
तेरी ाँ पैर मिट जाऊंगा 
तेरा शीश न झुकने देंगे 
तेरे अंशु की कीमत हम 
कतरा कतरा खून से लेंगे 
प्रहरी हूँ मैं भारत माँ का 
माँ की रक्षा करता रहूँगा 

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