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बुधवार, 10 मई 2017

कुमकुम

कुमकुम हो तुम
बड़ी कोमल छुई-मुई हो तुम
अंतर्मन तेरा सुन्दर
पर बाह्य आवरण
क्यों कठोर हैं
तुम चाहों तो अंतरमन जैसा
तेरा बाह्य आवरण भी हो सकता हैं
तुम जैसी भी हो बड़ी सुन्दर हो तुम
करो अपने विश्वास का प्रयोग
छा जाओ कला की दुनिया में
तुम कर सकती हो वो
जो तुमने कभी चाहा ही नहीं
शक्ति हैं तुम्हारे अंदर
पहचानो उसे और चल पड़ो
वक्त बिता नहीं हैं ज्यादा
तुम्हारे अंदर कला हैं अनोखा
उसे बच्चों तक पहुचाओं
और उनके चेहरों की ख़ुशी से
अपने जीवन को महकाओं
तुम कुमकुम हो
कुमकुम की ही तरह

हर ज़िन्दगी को खुशियाँ बाटों!!

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