जीवन जल के खातिर हैं
जल जीवन अनमोल
मौसम के मारे हुए
जल के सहारे पार
जल जितना निर्मल हुआ
मन निर्मल कर देत
मन के मैल को छोड़िये
जल को स्वच्छ बनाओं
मन तो अपने हाथ में
जल स्वछता मुश्किल
वक्त बुरा अब आ रहा हैं
जल दुर्लभ होता गया
शहर पत्थरों में तब्दील
बड़े-बड़े गुम्बदो से
अटा पड़ा हैं पार्क
जल की एक न धारा
कहां को प्यास बुझाए
हर गरीब के हाथ नहीं
बोतल का पानी पी सके
हे शहरों में रहने वाले
पत्थर की जगह पानी का करो इंतज़ाम
जीवन खुशियों से भर जाएगा
प्यासे जीवन की प्यास बुझाकर
कुछ नेक काम कर डालो
पत्थर के शहर में रहने वालों
ए पत्थरदिल भाई
सुंदरता गाँव में भी बस्ती हैं
थोड़ा नैन खोलकर देखो मेरे भाई
स्वच्छ सड़क और शुद्ध पेयजल
गैस कनेक्शन, बिजली घर
यही चार चीज़ चाहिए
फिर गाँवों की सुंदरता में
चार चाँद लग जाएगा!!
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