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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

बुधवार, 17 मई 2017

चश्मा

गोल-मटोल चश्मा बोल
तेरे दिल पर क्या बीती
जब तेरी रानी तुझे दे खोल
पूरे दिन तू उसे दिखाता दुनिया रंग बिरंगी
रात को जब वो सोने जाए
तुझको रख दे साइड
नयन ख़ुशी से झूम रहे हैं
मिला हमें रंगीन सहारा
जो मेरे संग-संग चलता हैं
सब पर धाक जमाये
मेरी पतली दुबली काया
उसको भी महकाए
गोल-मटोल पहचान मेरी हैं
रंग-बिरंगी फ्रेमों वाली
मैं गुड़िया के आँखों पर

सजी-धजी बैठी रहती हूं.

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