यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

गुरुवार, 4 मई 2017

ईश्वर

“तुम मुझे देख नहीं सकते हो,
      पर मैं वह ज्योति हूँ जिसके द्वारा तुम देखते हो.
तुम मुझे सुन नहीं सकते हो,
      पर मैं वह ध्वनि हूं जिसके द्वारा तुम सुनते हो.
तुम मुझे जान नहीं सकते हो,
      पर मैं वह सत्य हूँ जिसके द्वारा तुम जीते हो.”


-    सत्य साईबाबा 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें