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गुरुवार, 8 जून 2017

धड़कन

धीरे-धीरे से दिल ये मचलने लगा
चुपके-चुपके मुहब्बत ये करने लगा
दिल के धड़कन से धड़कन अब मिलने लगी
कोई अपना हुआ दिल मचलने लगा
वक्त तन्हाइयों में गुजरने लगा
दिल नयी चाहतों के तले
सारे सिद्धांत यूँ ध्वस्त होने लगे
रात की नींद सपनो में कटने लगी
जाम के ही बिना मस्त रहने लगे
दिल गुज़रते गए मन मचलते रहे
राह में रोज़ उनसे हम मिलते रहे
तोड़ कर हम सभी बंधनों को चले
प्यार के उस जहां में हम दोनों मिले
जहां कोई बंदिश न कोई गिला था
सभी अपने-अपने से दिखने लगे
खुद कि चाहत जवां सी अब दिखने लगी
है जमी पर भी दीखता हमें स्वर्ग ही  !!

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