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तुम से तुम तक

इस ज़िन्दगी की गीत में  नीत नए संगीत में  हर घड़ी हर लम्हे में  मेरी साँसों में मेरी धड़कन में  हर जगह तुम साथ हो  बीते 27 वर्षों में  आदत तुम्...

बुधवार, 7 जून 2017

सूरज दादा

सूरज दादा आते हैं
जगमग जग कर जाते हैं
हर मौसम में खुशियों की
सौगात वो हमको देते हैं
ठंड के मौसम में धुप सेकना
सबको अच्छा लगता हैं
मिलजुलकर सब बैठ संग-संग
पिक्निक का आनंद हैं लेते
गप्पे-शप्पे हंसी-ठिठोली
चर्चा और परिचर्चा भी
सब मिलकर कर लेते हैं
जब आता वसंत का मौसम
सूरज की खिलती गर्मी से
पौधे मुस्काने लगते
चारों ओर हरियाली फैली
जग को भी महकाने लगती
पर ज्येष्ठ महीना आते-आते
हो जाते हैं सब बेहाल
अंदर हो या बाहर
ताबड़तोड़ पसीना गिरता
मन घबराने लगता सबका
सूरज दादा बस कर दो अब
और सहा नहीं जाता
आसमान में बादल छाते
झूम-झूम सब गाते
सूरज दादा घर को जाओं

बदरी बरसान आओं!!

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