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पापा

पापा मेरे सपनों का वो प्रतिबिम्ब है  जो हमारे हर सपने को पूरा करते है  हमारी हर जिज्ञासा को पूरा करते है  हमारे लड़खड़ाते कदम को हाथों से संभा...

शनिवार, 10 जून 2017

डब्बू पास हो गया

था गोल-मोल डब्बू, वो पढ़ना में था पप्पू
परीक्षा पास करली, श्रेणी भी फर्स्ट लेली
रुपैया काम आया, पढाई काहे करनी
डब्बू ने समाज की
हवा ख़राब कर दी
वो शहर था पढ़नेवालों का
उसे बेकार कर दी.

वो डब्बू भाई जालो
यहाँ से दूर जा लो
हमें तो जीने दो तुम
बच्चे बेकार हो गए
बाहर पूरी दुनिया में
हमारी नाम कटती.

वो डब्बू भाई तुम तो
दिल्ली ही घूम आओ
वहां तुम्हारे ख़ातिर
बड़ा माहौल अच्छा
नेताजी वहां के
तुम्हे भी मात देंगे.

खेलों तुम शह-मात तो
कटेगा दिन तुम्हारा
मज़े ही मज़े में!!

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