पहाड़ों का राजा नैनीताल
लंबे-लंबे पेड़, झाड़ियाँ
बड़ी-बड़ी
हर तरफ धरती हरी चादरों से
ढकी
चिड़ियों का चहचहाना
बंदरों का उछलना और
किंकियाना
घोड़ों की टाप की आवाज़
पानी की धार का पहाड़ियों से
टकराना
पहाड़ों के बीच बने छोटे-छोटे
गेस्ट हाउस
शांत पहाड़ी के वातावरण में
गाड़ियों की गरगराहट का
रुक-रुक कर आना
सुबह धुप का खिलना
चाँद घंटों में ही बादलों
से घिर जाना
फिर टिप-टिप गिरती बारिश की
बुँदे
कानों को सुकून दे जाती है
आँखों में वादियों की
ख़ूबसूरती को
समेटे हुए हम चल पड़े
इस यात्रा के यादों को
शब्दों में समेटा हैं
नैनीताल की ख़ूबसूरती को
आप तक पहुँचाने की
एक छोटी सी कोशिश हैं
हमारी!!
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