यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

शिक्षा

शिक्षा,  शिक्षित,  और शैक्षणिक संस्थान  ये सब आपस में ऐसे जुड़े है  जैसे एक माँ से बच्चे के हृदय के तार  जो दिखाई कभी नहीं देता  पर बच्चों के...

रविवार, 11 जून 2017

डगमगाते कदम

झिलमिलाती हुई चांदनी रात थी
डगमगाती हुई मेरी साँस थी
कुछ बुझते हुएं से एहसास थे
दिल तड़प था रहा कदमें  बोझिल हुई
मन में मिलने कि उनसे जो प्यास थी

झिलमिलाती हुई चांदनी रात थी
सपने खो से गए मन के एहसास से
सपने के आगे था डर का सितम
वो डराने लगा था पुनः आजकल

झिलमिलाती हुई चांदनी रात थी
जाम खाली पड़ा प्यास के आस में
मन के उलझन को सुलझा नहीं मैं सकी
गर कभी जिंदगी में खुदा भी मिला

क्या निभा मैं सकुंगी ये रिश्ता दुबारा
जहाँ से मैं बैरंग लौटी कभी
लाख चाहा मगर मुझको नफरत मिली
अब क्या हुआ जो चले आए तुम
मैं तो जैसी थी पहले हूँ वैसी अभी

हैं वही बांकपन हैं वही सब अकड़
मेरी खुद्दारी मुझसे हैं कहती सदा

झुकना नहीं हैं मुझे और अब!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें