सुनो पपीहा बोल रहा
हैं
कुछ कानों में घोल
रहा है
चिड़िया की चह-चह
कानों में
गुंजे बारमबार
एक डाल से दूजे पे
घूमे फुदक फुदक के
बादल राजा घूम रहे
है
मस्त मगन बेहाल
फूलों की भी
सुन्दरता तो
कर दे मालामाल
धरती की है छटा अनोखी
धरती दूल्हन बन बैठी
है
हरियाली की चादर पर
रंग-बिरंगे फूल खिले
है
सूरज के किरणों ने
धरती का कर दिया श्रगार
रात चांदनी लेकर आती
टिम-टिम करते तारे
अब पेड़ों के बीच चल
रही
कितनी ठंडी बयार
हाड़ो को भी तोड़
डालती
ऐसी कापती रात
गर्म हवा तुम यहाँ
भी आओ
राहत देदो आज
यह कैसा प्रदेश प्रभु
सब खोज रहे है मुझको
वरना मुझसे दुरी ही
रखते है
हर प्रदेश के वासी!!
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