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रविवार, 25 जून 2017

निमंत्रण

भेज रहे है स्नेह निमंत्रण
प्रियवर तुझे बूलाने को
स्वागत को घर-बार सजा है
दावत से बागान सजा है
हे मानस के राज हंस तुम
भूल न जाना आने को

भेज रहे है स्नेह निमंत्रण
      प्रियवर तुझे बुलाने को
      खुशियों के इस गहन बेला में
      आपके आगमन की प्रतीक्षा हमे है
      कब नयन चार होंगे, गले हम मिलेंगे
      यह संजोग अपना सूहना बनेगा

भेज रहे है स्नेह निमंत्रण
प्रियवर तुझे बुलाने को
आओ सब मिल जुलकर के
खुशियां बाटेंगे हम मिलकर के
व्यस्त घड़ी है, व्यस्त है जीवन
थोड़ा सा उल्लास भरे

भेज रहे है स्नेह निमंत्रण
      प्रियवर तुझे बुलाने को
      जीवन के इस बिरह मिलन में

      थोड़ा सा विश्राम करे!

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